फंगल इन्फेक्शन का पूरी दुनिया में पाया जाना बेहद सामान्य बात है। मनुष्यों में, फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infection) की समस्या तब होती है जब कोई बाहरी फंगस शरीर के किसी खास हिस्से पर कब्जा जमा लेता है और शरीर का इम्यून सिस्टम उससे निपटने में सक्षम नहीं होता है।
फंगस कहीं भी रह सकते हैं, यहां तक कि हवा, मिट्टी, पानी और पौधों में भी। कई फंगस ऐसे भी हैं जो सामान्य तौर पर मानव शरीर में भी रहते हैं। बहुत से अन्य माइक्रोब्स की तरह, उनमें से कुछ हमारे लिए अच्छे होते हैं और कुछ हमारे लिए बुरे होते हैं।
जब हानिकारक फंगस हमारे शरीर पर हमला बोलते हैं तो, उन्हें खत्म करना हमारे लिए काफी मुश्किल होता है। क्योंकि वे किसी भी माहौल में जीवित रह सकते हैं और वे स्वस्थ हो रहे इंसान को बार-बार संक्रमित करने की कोशिश करते रहते हैं।
इसीलिए इस आर्टिकल में मैं आपको बताऊंगा कि फंगल इन्फेक्शन क्या है? (What is Fungal Infection?) इसके अलावा, फंगल इन्फेक्शन के प्रमुख प्रकार, लक्षण और फंगल इन्फेक्शन के उपचार (fungal infection treatment in hindi) के बारे में भी जानकारी दूंगा।
आदि। ये फंगल इन्फेक्शन के सामान्य लक्षण हैं। लेकिन, फंगल इन्फेक्शन के लक्षण समस्या के प्रकार पर भी निर्भर करते हैं।
पुरुषों में फंगल इन्फेक्शन के मुख्य रूप से 3 सामान्य प्रकार हैं।
पैरों में होने वाली दाद की समस्या को एथलीट्स फुट या टीनिया पेडिस (Tinea Pedis) भी कहा जाता है। ये सामान्य प्रकार का फंगल इन्फेक्शन है जो पैरों को प्रभावित करता है। एथलीट फुट की समस्या आमतौर पर उन लोगों को होती है जो खेलकूद से जुड़े होते हैं या एथलीट होते हैं। कई बार ये समस्या उन लोगों को भी होती है जो दिनभर जूते पहनकर आउटडोर डयूटी करते हैं।
जांघों के बीच खुजली होने की समस्या को जोक इच या टीनिया क्रूरिस (Tinea Cruris) भी कहा जाता है। ये फंगल इन्फेक्शन का अन्य बेहद सामान्य प्रकार है। इस फंगी को नम और हल्का गर्म वातावरण बेहद पसंद होता है। इसीलिए ये शरीर के उन्हीं हिस्सों में ज्यादा फैलता है, जहां पसीना या नमी अच्छी मात्रा में मौजूद होती है। जैेसे,
रिंगवर्म या दाद को टीनिया कॉर्पोरिस (Tinea Corporis) भी कहा जाता है। ये एक स्किन इन्फेक्शन है जो डेड टिश्यू पर रहने वाले फंगस पर रहता है। ये इन्फेक्शन स्किन के साथ ही बालों और नाखूनों पर भी हो सकता है।
रिंगवर्म ही वो फंगस है जिसकी वजह से जोक इच और एथलीट फुट जैसी समस्याएं होती हैं। जब भी ये शरीर के किसी भी हिस्से पर होती है तो, इस इन्फेक्शन को रिंगवर्म कहा जाता है।
रिंगवर्म के लक्षण
रिंगवर्म एक स्किन इन्फेक्शन है जिसकी वजह से जोक इच और एथलीट फुट जैसी समस्याएं होती हैं। रिंगवर्म को उसके आकार की वजह से आसानी से नोटिस किया जा सकता है। ये एक लाल रंग का गोल पैच होता है, जिसमें खुजली या पपड़ी निकलने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
वक्त बीतने के साथ इस समस्या में गोल पैच बनने लगते हैं और धीरे-धीरे उस पैच के आसपास कई गोल पैच बन जाते हैं। इसी तरह से इसका विस्तार होता चला जाता है। इस रिंग का बाहरी हिस्सा लाल होता है और कई बार उभरा हुआ भी दिख सकता है। जबकि भीतरी हिस्से में सफेद रंग की पपड़ी दिखती है और कई बार चिकना पानी भी निकल सकता है।
रिंगवर्म बेहद संक्रामक होता है और स्किन से स्किन का संपर्क होने पर ये समस्या हो सकती है। कई बार जानवरों के संपर्क में आने पर भी ये समस्या हो सकती है। ये फंगस कुछ चीजों जैसे, तौलिया, कपड़े और कंघे में भी मौजूद हो सकता है।
रिंगवर्म फंगस मिट्टी और कीचड़ को भी संक्रमित कर सकता है। इसलिए ऐसे लोग जिन्हें धूल-मिट्टी में काम करना पड़ता है, उन्हें भी रिंगवर्म की समस्या हो सकती है।
रिंगवर्म का निदान उपचार और रोकथाम
कई बार स्किन की अन्य समस्याएं भी देखने में रिंगवर्म जैसी लगती हैं, इसलिए डॉक्टर कई बार स्किन का सैंपल लेकर फंगस की जांच के लिए लैब में भेजते हैं। सही फंगस का पता चलने के बाद ही डॉक्टर किसी उपचार या दवा की सलाह देते हैं। उपचार इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपके लक्षण की गंभीरता कितनी है?
रिंगवर्म के ज्यादातर मामलों को टॉपिकल क्रीम और मेडिकेटेड क्रीम लगाकर ठीक किया जा सकता है। लेकिन ज्यादा गंभीर मामला जैसे सिर में रिंगवर्म की समस्या होने पर डॉक्टर अन्य उपचारों की सलाह भी दे सकता है।
बेसिक हाईजीन मेंटेन करके रिंगवर्म का उपचार और रोकथाम की जा सकती है। स्किन को साफ-सुथरा और ड्राई रखकर इन्फेक्शन से भी बचा जा सकता है। इसके अलावा पब्लिक यूज के बाथरूम और टॉयलेट के इस्तेमाल से बचना भी मदद कर सकता है। दूसरों की इस्तेमाल की हुई चीजें जैसे तौलिया या कपड़ों के इस्तेमाल से बचना भी कारगर हो सकता है।
इंसानों में फंगल इन्फेक्शन का पाया जाना बेहद सामान्य बात है और आमतौर पर इन्हें गंभीर समस्या नहीं माना जाता है। अगर समस्या का समय पर निदान और उपचार किया जाए तो इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।
लेकिन अगर किसी इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यून सिस्टम कमजोर हो तो उसे फंगल इन्फेक्शन को ठीक करने में मुश्किल हो सकती है। ये समस्या कई बार एंटी बायोटिक दवाओं को लेने से भी ठीक नहीं होती है। इसी तरह कैंसर ट्रीटमेंट लेने वाले और डायबिटीज के मरीजों के फंगल इन्फेक्शन को ठीक होने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।