गाउट, रक्त में यूरिक एसिड के स्तर के बढ़ जाने के कारण होने वाली बीमारी है। इसे हिंदी में “वातरक्त” भी कहा जाता है। यह गठिया का एक प्रकार है और मुख्य रूप से शरीर में हड्डियों के जोड़ों को प्रभावित करता है।
गाउट (Gout) गठिया का एक जटिल रूप है जो किसी को भी प्रभावित कर सकता है। गाउट (Gout) को हिंदी में वातरक्त कहा जाता है। गाउट होने का मुख्य कारण है रक्त में यूरिक एसिड (Uric acid) का स्तर बढ़ जाना। शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाने पर यूरिक एसिड के क्रिस्टल बनने लगते हैं और शरीर में हड्डियों के जोड़ों में जम जाते हैं, लिकिन मुख्य तौर पर यह पैर की उंगलियों के सबसे बड़े जोड़ (पैर का अंगूठा) को अधिक प्रभावित करता है।
ज्यादातर रक्त में यूरिक एसिड का स्तर तब बढ़ता है जब शरीर में प्यूरीन अधिक बनता है या भोजन के माध्यम से शरीर अधिक प्यूरीन ग्रहण कर लेता है, इसके अलावा किडनी की कार्यक्षमता कम होने के कारण भी यूरिक एसिड के स्तर में बढ़ोत्तरी होती है। कभी-कभी दोनों स्थितियाँ ही एक साथ हो जाती हैं। यूरिक एसिड बढ़ने के कारण निम्नलिखित हैं-
गाउट के लक्षण आम तौर पर अचानक सामने आते हैं, अक्सर रात के समय में गाउट अपने लक्षण प्रकट करता है जिन्हें गाउट अटैक के नाम से भी जाना है। इसको अंग्रेजी में एक्यूट गौटी आर्थराइटिस (acute gouty arthritis) भी कहा जाता है। क्या है वे लक्षण जानिए-
गाउट को मुख्या तौर पर दो रूपों में बांटा गया है अल्पकालीन गाउट (Acute gout) और दीर्घकालीन गाउट (Chronic gout)।
ऐसी कुछ चीजे और कारक हैं जो गाउट के अटैक को बढ़ावा देते हैं, जाहिर है कि गाउट के मरीज को इन कारकों से दूरी बनानी चादिए जिससे उन्हें गाउट के अटैक से होने वाली पीड़ाओं में आराम मिले। क्या हैं वे कारक जानिए-
प्रत्येक मरीज की बीमारी समान हो सकती है, लेकिन बीमारी की गंभीरता, चरण और स्वास्थ्य स्थितियाँ नहीं। एक मरीज को कभी दूसरे मरीज के इलाज का पालन नहीं करना चाहिए। अपनी सभी समस्याओं को लेकर विशेषज्ञ से उचित सलाह लेकर ही किसी तरह का इलाज शुरु करना चाहिए।
गाउट के इलाज के लिए आमतौर पर दवाओं का उपयोग किया जाता है। ये दवाए मरीज का विशेषज्ञ उसकी वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति, बीमारी की गंभीरता, बीमारी के चरण और अन्य प्रथमिकताओं को ध्यान में रखकर निर्धारित करता है।
गाउट में दवाओं द्वारा इलाज जोड़ों में होने वाली पीड़ा को रोकने के लिए दर्द निवारक दवाओं (NSAIDs) और कोल्चिसिन का उपयोग किया जाता है। साथ ही गाउट के अटैक को रोकने के लिए एलोप्यूरिनोल (ज़ायलोरिक), फेबक्सोस्टैट जैसी दवाओं का उपयाग किया जाता है।
दवाओं के इलाज के साथ-साथ मरीज का विशेषज्ञ उसे जीवनशैली में कुछ बदलाव करने की सलाह भी दे सकता है। जैसे- मोटोपा कम करना, धूम्रपान न करना, मादक पादर्थों का सेवन न करना।
गाउट के लिए चिकिस्कीय इलाज के साथ-साथ घरेलू उपचार भी कारगर हैं लेकिन इन्हें अपनी इच्छानुसार कभी न आजमाएँ विशेषज्ञ की सलाह से ही कोई कदम उठाएँ। क्या गाउट में काम आने वाले घरेलू नुस्खे-
गाउट होने का मुख्य कारण होता है रक्त में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाना, तो जाहिर है कि आहार वह होना चाहिए जिससे रक्त में यूरिक एसिड का स्तर नियंत्रित रह सके। क्या हैं वे खाद्य पदार्थ जो गाउट के मरीज को नहीं खाना चाहिए-