दाँतों को नुकसान क्यों पहुँचता है इस बात को समझने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि दाँत होता क्या है। असल में दाँत, मुँह (या जबड़ों) में स्थित छोटे, सफेद रंग की संरचनाएं हैं जो बहुत से कशेरुक (vertebra) प्राणियों में पाया जाता है। दाँत, भोजन को चीरने, चबाने आदि के काम आते हैं। कुछ पशु (विशेषत मांस खाने वाले) शिकार करने एवं रक्षा करने के लिये भी दाँतों का उपयोग करते हैं। दाँतों की जड़ें मसूड़ों से ढकी होती हैं। दाँत, अस्थियों (हड्डी) के नहीं बने होते बल्कि ये अलग-अलग घनत्व व कोठर ऊतकों या टिशुओं से बने होते हैं।
दांतों को सबसे ज्यादा खाने-पीने के कारण नुकसान पहुँचता है। चलिये इस विषय पर आगे चर्चा करते हैं-
इसके अलावा दाँतों को इनके बीमारियों के कारण भी नुकसान पहुँचता है-
पायरिया- शरीर में कैल्शियम की कमी होने, मसूड़ों की खराबी और दांत-मुँह की साफ सफाई में कमी रखने से होता है। इस रोग में मसूड़े पिलपिले और खराब हो जाते हैं और उनसे खून आता है। सांसों की बदबू की वजह भी पायरिया को हीन माना जाता है।
दांत की हड्डियों का कमजोर होना- (दांतों में छेद) तीन कारणों के परस्पर मेल से होता हैः दांतों की ऊपरी सतह के असुरक्षित होने, दांत पट्टी पर रोगाणु जमा होने और भोजन में ज्यादा कार्बोहाइड्रेट होने के कारण। दांत पट्टी के रोगाणु भोजन, कणों को खमीर में बदल देते हैं, खासकर चीनी, चॉकलेट, बिस्किट, ब्रेड, जैम जैसे भोजन को जिसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। उसके कारण अम्ल बनते हैं। ये अम्ल दांतों के इनामेल के खनिजों को कम करते हैं और इस वजह से उनमें खाली जगह बन जाती है।
दांत को जबड़े से जोड़े रखने वाली परत की बीमारियाँ- दांत को सहारा देने वाले मसूढ़ों व हड्डी जैसे ऊतकों को प्रभावित करती हैं। मसूढ़े लाल हो जाते हैं। वे सूज जाते हैं और उनमें से अक्सर खून बहता है। अगर इसका उपचार न किया जाए, तो हड्डियों और दांतों की सक्रियता जाती रहती है। मधुमेह की तरह ही, धूम्रपान भी इस रोग को बढ़ाता है। बहुत घटिया दंतमंजन या ब्रश करने के गलत तरीके के कारण दांतों की जड़ें नंगी हो सकती हैं, दांतों की नंगी जड़ों के सख्त ऊतक आसानी से उन्हें खुरदरा बना सकते हैं। इस कारण दांत तापमान के प्रति बहुत संवेदनशील हो सकते हैं। नतीजतन, मसूढ़े व दांतों की हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।
दांतों का गिरना- वृद्धावस्था की तीसरी आम समस्या है। सारे या कुछ दांतों के गिरने से भोजन को चबाने की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। ऐसे में व्यक्ति अधिक मुलायम खाना लेना शुरू कर सकता है, जिससे उसके भोजन की पौष्टिकता पर असर पड़ सकता है। वह फल और सब्जियों की बजाय, केवल ब्रेड और चावल जैसा भोजन शुरू कर सकता है जिससे पौष्टिकता में कमी आती है।
मुँह का कैंसर- वह चौथी आम बीमारी है जो बुजुर्ग लोगों को अपना शिकार बनाती है। यह वर्षों तक जारी किसी बुरी लत जैसे; पान, तंबाकू, गुटका, धूम्रपान, शराब, मुँह की सफाई के प्रति लापरवाही, मुँह के संक्रमणों, अधिक नुकीले दांतों वाले व्यक्ति में पौष्टिकता की विभिन्न प्रकार की कमियों के कारण मुँह के कैंसर का रूप ले सकता है।
एनामेलोमास- एनामेलोमास दांतों की वह असामान्यता है जिसमें दांतों के कुछ हिस्सों पर इनामेल पाया जाता है जहां इनामेल नहीं होना चाहिए। यह जड़ों के बीच के हिस्सों में पाया जाता है, जिसे दाड का विभाजन भी बोलते हैं। एनामेलोमास के दौरान दांतों के निकलने के समय दांत की जड़े ढह जाती हैं जिसके कारण जड़ों की ऊपरी सतह खराब हो जाती हैं ताकि दांतों की कोशिकाएं प्रीडेनटायन के संपर्क में आकर जब दांतों की सतह और सीमेंटोब्लास्ट को विभाजित करते हैं तो उस समय दांतों की सतह पर सीमेनटम जमा होने लग जाता है जो कि आगे जाकर एनामेलोमास में परिवर्तित हो जाता है। कभी-कभी दांतों की सतह पर इनेमल छोटी-छोटी बूंदों के रूप में भी नजर आता है जिसको इनेमल पर्ल भी कहते है क्योंकि यह इनेमल दांतों पर मोती समान दिखता है। एनामेलोमास की स्थिति में कभी-कभी प्रीडेनटायन उपकला जड़ म्यान से जुड़ा रहता है जिससे इनेमल की संख्या का भी पता लग जाता है।
डाईलेसरेशन- डाईलेसरेशन दांतों की वह समस्या है जिसमें दांतों का आकार और संरचना में अचानक से मुड़न दिखाई देती है जो कि दांतों की रूट में या फिर ऊपर की ओर में दिखाई देती है। यह दांतों में कहीं पर भी देखने को मिलता है। डाईलेसरेशन दांतों की रूट में बहुत आसानी से पाया जाता है और इसमें दांत के रूट में मुड़अन दिखाई देती है। यह स्थिति किसी प्रकार के आघात के कारण या फिर दांतों के देर से आने के कारण भी हो सकती है। डाईलेसरेशन कच्चे और पक्के दोनों ही प्रकार के दांतों में देखा जा सकता है। सबसे साधारण दाँत जो इस स्थिति में पीड़ित होते हैं वो पक्के ऊपर वाले दांतों में दिखाई देता है।
दन्ताल्पता- दन्ताल्पता (Hypodontia/ओलिगोडॉनशिया) दांतों की वह असामान्यता है जिसमें 6 या 6 से अधिक प्राथमिक दांत, स्थिर और पक्के दांत या फिर दोनों प्रकार के ही दांत विकसित नहीं हो पाते हैं। यह एक अनुवांशिक रोग है जो किसी-किसी मनुष्य में पाया जाता है। इसके अलावा दांतों की कमी अगर 6 से कम होती है तो उस स्थिति में हाइपोडॉनशिया कहलाता है।
लघुदन्तता- लघुदन्तता (माइक्रोडॉनशिया या माइक्रोडॉन्शिज्म) दांतों की वह अवस्था है जिसमें 1 या 1 से अधिक दांत साधारण दांतों की अपेक्षा बहुत छोटे दिखाई देते हैं। यह असामान्यता सबसे अधिक आगे वाले दांतों में और दाढ़ में दिखाई देती है। माइक्रोडॉनशिया से पीड़ित दाँतों के आकार में कमी दिखती है जिससे दांतों की यह कमी आसानी से दिख जाती है। इस असामान्यता से ग्रस्त लोगों को लघुदन्ती (माइक्रोडॉन्ट) कहते हैं।
हाईपरसीमेंटोसिस- हाईपरसीमेंटोसीस दांतों की एक अज्ञातहेतुक, गैर नवोत्पादित स्थिति है जो 1 या 1 से अधिक दांतों की जड़ों पर सीमेनटम के जमा होने से होती है। दांतों के सीरे पर सीमेनटम की मोटी परत चढ़ जाने से दांत साधारण दांतों से बड़े दिखाई देते हैं। इससे अपिकल फोरामेन में रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती जिसके कारण पल्प गल जाता है।
मुँह के छाले–मुँह के छाले एक छोटा सतही छाला होता है जो आपके मुँह के किसी भी मुलायम ऊतक, मुँह के ऊपर या निचली सतह, होंठ और गाल पर या आपके मसूड़ों के तल पर दिखाई दे सकता है, कुछ स्थिति में, आप अपने पेट के लिए अग्रणी ट्यूब एसोफैगस पर छाले विकसित कर सकते हैं। मुँह के छाले आमतौर पर हानिरहित होते हैं और लगभग दो सप्ताह तक रहते हैं। हालांकि, गंभीर मामलों में, यह मुँह के कैंसर का संकेत भी हो सकते हैं।
इसके कारण बहुत सारी ऐसी बीमारियां है जिनको न चाहते हुए भी हम आमंत्रित कर बैठते हैं-
डायबिटीज की समस्या- दांतों में पीलेपन की वजह से डायबिटीज की समस्या भी हो सकती है। डायबिटीज का मुख्य लक्षण दांतों में पीलापन, मुँह से बदबू आना आदि है। इस समस्या में मुंह में पाए जाने वाले लार में इन्फेक्शन हो जाता है और मसूड़े पूरी तरह से गल जाते हैं। इसलिए अगर डायबिटीज की समस्या से बचना है तो अपने दांतों को सुरक्षित रखें।
उच्च रक्तचाप– उच्च रक्तचाप के रोगियों के दांत में कीड़े लगे रहते हैं, मसूड़ों से खून और बदबू भी आती है। इसलिए अगर आपको इनमें से कोई भी समस्या है तो आप उच्च रक्तचाप के शिकार हो सकते हैं। इसलिए दांतों के प्रोब्लम्स से तुरन्त निजात पाने की कोशिश करें।
हृदय रोग- दांतों की बीमारी से हृदय रोग की समस्या भी देखने को मिलती है, क्योंकि दांत और मसूड़ों से हृदय का सम्बन्ध बहुत गहरा है। अगर दांतों की सफाई ठीक से न की जाये तो इससे हार्ट अटैक आने का खतरा भी बढ़ जाता है।
फेफड़ों का रोग- अगर दांतों की बेहतर ढंग से सफाई न की जाये तो यह पीले पड़ने लगते हैं और इनमें कीड़े भी अपना घर बना लेते हैं। ऐसे में ये खून के साथ मिक्स हो जाते हैं और फेफड़ों तक जा पहुंचते हैं जिससे फेफड़े खराब होने लगते हैं। अगर आपको दांतों की समस्या है तो कुछ भी खाने के बाद अच्छे से कुल्ला करें।
कैंसर- दांतों की समस्या जैसा छोटा रोग कैंसर जैसे बड़े रोग को जन्म दे सकता है। दांतों के कीट मुंह की लार में घुल जाते हैं और किसी भी चीज को खाने या पीने से यह गले से गुरते हैं जिससे गले के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए दांतों को अच्छी तरह से साफ रखें।
पिरियोडोंटिस की समस्या- अगर दांतों की समस्याएँ लगातार बनी रहती हैं तो बाद में हमें पिरियोडोंटिस भी हो सकता है। पिरयोडोंटिस हमारे दांतों से ही जुड़ी हुई एक समस्या है। इसमें दांतों के मसूड़े और हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और दांत अलग हो जाते हैं। दांतों और इन मसूड़ों के बीच संक्रमण होने लगता है और बैक्टीरिया यहाँ अपना घर बना लेते हैं। अगर इसका जल्द कोई उपचार न किया जाये तो हमें अपने पूरे दांत गवाने पड़ सकते हैं।
मसूड़ों से खून आना- अगर आपके दांत पीले व सड़े हैं तो आपको मसूड़ों से खून आने की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है। दांत कमजोर होने की वजह से मसूड़ों से खून आने लगता है। जिससे मुँह में छाले और सांस की बदबू की समस्या भी सामने आती है। पायरिया दांतों का रोग है, जो मसूड़ों को भी प्रभावित करता है। इस रोग से ग्रस्त होने पर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
जीवनशैली और आहार दोनों में बदलाव लाने पर ही दांतों को होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं-
अमरूद की ताजा कोमल पत्तियों को दांतों में दर्द वाले हिस्से पर दबाकर रख लें, इससे दर्द में काफी राहत मिलती है। दिन में चार बार ऐसा करने से बहुत फायदा मिलता है। अमरूद की पत्तियों को या छाल को एक कप पानी में उबालकर उस पानी को माउथवॉश की तरह प्रयोग में लाने से हर तरह के दांत के दर्द में आराम मिलता है।
लहसुन में जीवाणुनाशक तत्व पाएं जाते हैं। इसमें एंटीबायोटिक और एलीसिन गुण भी होता है, इसलिए यह अनेक प्रकार के संक्रमण से लड़ने की क्षमता रखता है। अगर आपका दांत दर्द किसी संक्रमण के कारण है, तो लहसुन उस संक्रमण को दूर करके दांत दर्द को ठीक कर देता है। इसके फायदे को देखते हुए आप लहसुन की दो तीन कली को प्रतिदिन कच्चा चबा सकते हैं। आप लहसुन को काट या पीसकर उसमें सेंधा नमक मिलाकर अपने दर्द करते हुए दांत पर रख सकते हैं। लहसुन में एलीसिन होने के कारण यह दांत के पास के बैक्टीरिया, जीवाणु, कीटाणु इत्यादि को पूर्ण रूप से नष्ट कर देता है। लेकिन लहसुन को काटने या पीसने के बाद तुरन्त उपयोग में लें, ज्यादा देर खुले में रखने से एलीसिन उड़ जाता है और आपको ज्यादा फायदा नही मिलता।
बारीक पिसे हुए नमक में तिल का तेल मिलाकर ऊंगली की सहायता से दांतों पर रोजाना मालिश करने से दांतों की पीड़ा कम होती है।
पुदीने की सूखी पत्तियों को दर्द वाले दांत के चारों और दस से पंद्रह मिनट की अवधि तक रखें। इस उपाय को दिन में सात से आठ बार करने से लाभ मिलेगा। खासकर उम्र बढ़ने पर होने वाले दांतों का दर्द पुदीना से ठीक हो जाता है। पुदीने के तेल की कुछ बूंदों को दर्द वाले हिस्से पर लगाए और फिर गर्म पानी से गरारा कर लें। आप पुदीने के तेल की कुछ बूंदों को पानी में डालकर माउथवॉश की तरह भी प्रयोग कर सकते हैं।