हार्मोन स्त्री और पुरुष दोनों के शरीर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं लेकिन महिलाओं के शरीर में इनकी भूमिका और महत्व बहुत अधिक होता है। क्योंकि यौवनावस्था शुरू होने से लेकर बच्चे को जन्म देने तक की सभी प्रक्रिया हार्मोन्स पर ही निर्भर करती है। हार्मोन असंतुलन होना हमेशा असामान्य नहीं होता है और यह समय के साथ ठीक भी हो जाता है। लेकिन कुछ महिलाओं में हार्मोन असंतुलन होने पर वह लंबे समय (lifelong) तक बना रहता है या जीवनभर हार्मोन का उतार चढ़ाव होता रहता है। इसकी वजह से उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस लेख में आप जानेंगी महिला में हार्मोनल असंतुलन की समस्या क्या है, महिला में हार्मोन असंतुलन लक्षण, कारण और उसके उपचार के बारे में
जब ब्लडस्ट्रीम में हार्मोन बहुत अधिक या बहुत कम हो जाता है तो इस स्थिति को हार्मोन असंतुलन कहते हैं। हमारे शरीर में हार्मोन की बहुत महत्वपूर्ण एवं आवश्यक भूमिका होती है। एक छोटा सा हार्मोनल असंतुलन भी पूरे शरीर को प्रभावित करता है। हार्मोन आमतौर पर रसायन (chemicals) होते हैं जो हमारे शरीर की अंतःस्रावी तंत्र की ग्रंथियों में बनते हैं और ब्लडस्ट्रीम (bloodstream) के माध्यम से ऊतकों (tissue) और विभिन्न अंगों में यात्रा करते हैं एवं विभिन्न अंगों को सूचना भेजने का कार्य करते हैं। इसके अलावा अधिकांश शारीरिक प्रक्रियाओं को संचालित एवं नियंत्रित (regulate) करने के लिए भी हार्मोन महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए हार्मोन असंतुलन की समस्या होने पर पूरे शरीर पर इनका प्रभाव पड़ता है
महिलाओं और लड़कियों में हार्मोन असंतुलन के विभिन्न लक्षण दिखायी देते हैं। ये सभी लक्षण आमतौर पर लड़कियों के यौवनावस्था (puberty) में कदम रखने से लेकर अर्थात् पीरियड्स आने से लेकर मेनोपॉज होने तक बने रहते हैं। हालांकि हार्मोन असंतुलन के लक्षण लगातार नहीं दिखायी देते हैं लेकिन महिलाओं में किसी भी उम्र ये लक्षण दिखायी दे सकते हैं। आइये जानते हैं कि महिलाओं और लड़कियों के शरीर में हार्मोन असंतुलन के कौन से लक्षण दिखायी देते हैं।
आमतौर पर हर महिला अपने जीवन में एक विशेष अवस्था में हार्मोन असंतुलन या हार्मोन के उतार चढ़ाव (fluctuations) का अनुभव करती है। लेकिन हार्मोन असंतुलन की स्थिति तब पैदा होती है जब अंतःस्रावी ग्रंथियां (endocrine glands) सही तरीके से काम करना बंद कर देती हैं।
अंतःस्रावी ग्रंथियां (endocrine glands) एक विशेष कोशिकाएं होती हैं जो ब्लड में हार्मोन का उत्पादन करती हैं, उसे जमा करती हैं और उसका स्राव करती हैं। शरीर में कई तरह की अंतस्रावी ग्रंथियां पायी जाती हैं जो शरीर के विभिन्न अंगों को नियंत्रित (regulate) करती हैं। शरीर में विभिन्न बीमारियां होने पर अंतःस्रावी ग्रंथियां प्रभावित हो जाती हैं जिसके कारण हार्मोन बनना कम हो जाता है। इसके अलावा खराब जीवनशैली और पर्यावरणीय कारक (environmental factors) भी हार्मोन असंतुलन के कारण हो सकते हैं।
महिलाओं में हार्मोन असंतुलन के मुख्य कारण निम्न हैं-
चीनी: ब्राउन शुगर, श्वेत शक्कर, उच्च फ्रक्टोज मकई सिरप आदि चीनी, महिलाओं में हार्मोनल लक्षणों को बढ़ाने के लिए दिखाया गया है।
यही कारण है कि अतिरिक्त शर्करा के सेवन को सीमित करना महत्वपूर्ण है।
कैफीनयुक्त पेय पदार्थ: आप नॉनफैट या कम वसा वाले दूध के साथ कॉफी और चाय पी सकते हैं। हालांकि, कैफीनयुक्त पेय गर्म चमक (गर्मी की अचानक भावना) को ट्रिगर कर सकते हैं। यदि आप गर्म चमक या रात को पसीना आने (hot flashes or night sweats) से जूझ रहीं हैं, तो कैफीन का सेवन न करें।
शराब: कैफीन की तरह, शराब हार्मोन असंतुलन का कारण बन सकती है। यद्यपि आप हर रात मिठाई के स्थान पर अपने पूरे भोजन के खाने के साथ एक गिलास शराब या बियर पी सकती हैं, अगर आपको गर्म चमक (गर्मी की अचानक भावना) हो रही है तो शराब का सेवन न करें।
चटपटा खाना: हार्मोन असंतुलन से बचने के लिए गर्मी को कम करने वाले और बिना जड़ी बूटियों वाले और हल्के मसालों से बने भोजन का सेवन करें।