Uric acid causes यूरिक एसिड क्यों बढ़ता है बॉडी में
नमकीन पदार्थों के अधिक सेवन से,
गरम पदार्थो के अधिक सेवन से,
खट्टे पदार्थो के अधिक सेवन से,
चरपरे पदार्थों के अधिक सेवन से,
चिकने पदार्थों और खारे पदार्थो के बहुत ज्यादा खाने से,
सड़ा हुआ बासी मॉस खाने से,
कुल्थी, उड़द, बैंगन, गन्ना, दही, मछली, शराब इनके अधिक सेवन से,
दिन में सोने से, रात में देर रात तक जागने से,
तिल की खली खाने से, मूली अधिक खाने से,
पत्ते वाले शाक, सिरका, छाछ, क्रोध, जिनको मोटापा हो और जो पूरा दिन खली बैठे रहने से,
साइकिल मोटर साइकिल पे उबड़ खाबड़ रास्तों पे चलने से, बहुत अधिक पैदल चलने,
पाचन किर्या ठीक न रहने पहले का खाना बिना अच्छे से पचे ही फिर दोबारा भोजन करने से,
और विरुद्ध भोजन करने से, क्षमता से अधिक भार उठाने से, क्षमता से अधिक परिश्रम करने से यह बीमारी होती है। Uric acid symptoms यूरिक एसिड के लक्षण सबसे पहले यह रोग जब होने को होता है तब यह खुद ही दर्शा देता है की यह होने वाला है।
उस से पहले शरीर में या तो बहुत ज्यादा पसीना आएगा या फिर बिलकुल ही बंद हो जाता है,
काले काले चकते पड़ने शुरू हो जाते हैं,
शरीर में शून्यता आती है स्पर्श का ज्ञान नहीं होता,
किसी प्रकार का घाव होना और उसमे बहुत अधिक दर्द होना,
संधिया शिथिल हो जाती है,
शरीर आलस्य से भर जाता है,
शरीर में दाने से हो जाते हैं,
हाथ पैरों की छोटी बड़ी संधियों में सुई जैसी चुबने की सी पीड़ा होती है।
शरीर ऐसे रहता है जैसे पूरा टूटने को सा रहता हो,
पूरा शरीर भारी सा रहता है,
शरीर में खुजली, हडियों में पीड़ा,
शरीर में या जोड़ों में जलन महसूस करना फिर कुछ ही देर में अपने आप खत्म हो जाना,
शरीर में चीटियां सी चलती है पैरों का सुन्न पड़ जाना या जिसे हम कहते हैं सो जाना। यह सब लक्षण इस बीमारी के होते है जो पहले ही दर्शा देता है। अगर ऐसे में कोई मुर्ख मनुष्य नहीं संभलता और अपना उपचार शुरू नहीं करवाता या जिन कारणों से यह रोग होता है उनका त्याग नहीं करता तो वह स्वयं यमराज को बुलाने का काम करता है।
जब यह रोग शरीर में अच्छे से हो जाता है उस के बाद शरीर में कुछ इस प्रकार के लक्षण होते है:-
नींद का नहीं आना
खाने का मन ना होना,
सांस लेने में दिकत या उस से संभंधित बीमारी होना,
मॉस का सड़ना,
सर दर्द या सर के रोग होना,
बेहोशी होना, पीड़ा होना, बार बार प्यास लगना,
बुखार आना, किसी किसी चीज का मोह होना,
हिचकी आना, चलने में असमर्थ हो जाना,
अँगुलियों का टेढ़ा हो जाना, विसर्प, पाक, भ्रम होना,
जलन होना, मर्म स्थानों में जकड़न होना, tumour बन जाना आदि इसके लक्षण होते है।