कपकपी आने के कारण
डॉक्टरों का अनुसार इस कपकपी आने का कारण ट्रेमर (tremor) हो सकता है। यह एक तरह का नर्वस डिसऑर्डर है (nerve disorder) जिसमें पहले हाथ कापने लगते हैं, बाद में यह धीरे धीरे शरीर में फैलने लगती है। यही नहीं इससे कभी कभी आवाज भी कपकपाने लगती है। इस बीमारी में सबसे पहले हाथों पर असर (it effects hands first) होता है। ट्रेमर वैसे तो इतनी खतरनाक बीमारी नहीं है। लेकिन अगर इस बीमारी की वजह से किसी के हाथ कापते हैं तो यह उसके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
40 की उम्र या उसे अधिक के लोगों में यह बीमारी देखने को मिलती है। लेकिन यह इस उम्र में क्यों होता है इस पर शोध (research is still in progress) हो रहें हैं। हाथों की कपकपी से पार्किंसन रोग होता है हाथों में कपकपी आना पार्किंसन रोग जैसी बीमारी को जन्म (giving birth to Perkins infection) देता है, जो आज दुनिया भर में फ़ैल रही है। यह जरुरी नहीं कि हर अल्जाइमर (Alzheimer) के मरीज़ को हाथ कांपने की शिकायत हो। लेकिन यह लक्षण कई मरीजों में देखने को मिलें है। मल्टीपल स्क्लेरोसिस इस बीमारी में मरीज़ का प्रतिरक्षा प्रणाली, दिमाग और नसें प्रभवित (effects brain and nerves) होती हैं, जिससे हाथ कापने लगते हैं।
अन्य लक्षण : अगर आपके हाथ कापते हैं, तो हो सकता है आपको कोई बीमारी ना हो। यह कभी कभी कुछ चीज़ों की कमी की वजह से भी होती है। विटामिन बी 12 की कमी विटामिन बी 12 की कमी (lack of vitamin B) से आपका तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है, जिससे हाथ कापने लगते हैं। इसलिए जरुरी है कि आप अंडे (eggs), मछली (fish), और दूध (milk) से बनी चीज़ें खाएं।
ड्रग्स – वे सभी दवाएं खाना बंद कर दें। जिससे डोपामाइन नाम का रसायन दिमाग में बनना बंद हो जाता है। क्योंकि इससे भी हाथ में कपकपी होने लगती है। डैमेज नर्व (damage nerves) हाथ और पैरों में इसलिए भी कपकपी (shivering) आ सकती है, अगर आपको कोई चोट लगी हो, जिससे आपकी नसों को नुकसान हुआ है।
तनाव – आज की तनावपूर्ण जीवन शैली (stressful life style) में जिन लोगों को बहुत गुस्सा आता है या जिनकी नींद नहीं पूरी होती हैं उन्हें ट्रेमर जैसी बीमारी होने का डर रहता है। लो ब्लड शुगर (low blood sugar) इससे शरीर में तनाव से लड़ने की छमता कम हो जाती है जिसे व्यक्ति के हाथ कापने लगते हैं।
आँकड़ों की माने तो भारत में प्रति वर्ष लगभग 10 लाख (1 million) लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. बुजुर्गों (elderly people) मे तो यह समस्या आम (common problem) हो गई है. यह समस्या केवल हाथ और पैर कांपने तक ही सीमित नहीं रहती, यदि सही समय पर कंपन का इलाज नहीं कराया गया तो इससे रोगी की बोलने की क्षमता (speech ability) भी प्रभावित होती है. रोगी की आवाज़ बोलते समय कपकपाने लगती है जिससे उसके बोलने की क्षमता कम होती जाती है. ऐसे रोगियों को अपना छोटे से छोटा काम करने व किसी से बात करने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. रोगी अपने मनोभावों (emotions) को व्यक्त करने में असमर्थ हो जाता है जिससे उसका जनजीवन प्रभावित होता है और वह अवसादग्रस्त (depressed) हो जाता है. कंपन का इलाज पूरी तरह से संभव नहीं है (हाथ कांपना समस्या समाधान). एलोपैथिक (Allopathic) दवाइयों के द्वारा डोपामाइन (dopamine) रसायन (chemical) (जिसकी कमी से यह रोग होता है) को बढ़ाकर कुछ हद तक इस रोग पर काबू पाया जा सकता है. आवाज़ की कंपन को दूर करने के लिए वाक् चिकित्सक (speech therapist) की मदद ली जा सकती है. कुछ गंभीर मामलों (critical condition) में डॉक्टर सर्जरी (surgery) की सलाह देते हैं.
कुछ अन्य वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों (alternative medical systems) द्वारा भी (हाथ कांपने का इलाज / हाथ कांपने का उपचार) इस रोग पर नियंत्रण (control) पाया जा सकता है.
होम्योपैथी (Homeopathy) में इस रोग का इलाज (हाथ कांपने का इलाज) के लिए कुछ दवाइयाँ है जैसे कि Agaricus Muscarius, Conium, Rhus Tox, Argentum Nitricum, Zincum, Tarentula आदि. परन्तु इन दवाओं का प्रभाव निर्भर करता है रोगी के लक्षण (symptoms) और रोग के कारणों (causes) पर (it varies from person to person). होम्योपैथिक दवाइयों (Homeopathic medicines) का प्रभाव तुरंत नज़र नहीं आता क्योंकि इन दवाइयों की दी जाने वाली खुराक (dose) की मात्रा बहुत कम होती है, जिसका असर रोगी की सेहत पर बहुत धीरे धीरे होता है. परन्तु यदि एक लंबी अवधि तक इन दवाइयों का सेवन किया जाए तो कुछ हद तक राहत (relief) मिलती है. होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन किसी कुशल चिकित्सक (well-qualified homeopath) की सलाह पर व निगरानी में ही लें.
हाथ कांपने का घरेलू उपचार के अंतर्गत वे उपाय आते हैं जो आप घर पर ही कुछ आसान से घरेलू नुस्खों (tips) की मदद से कर सकते हैं.